शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

भगवान सत्य है जिसका नाम भी सत्य है


भगवान सत्य है जिसका नाम भी सत्य है
 सत नाम, गुरू की कृपा से प्राप्त किया जा सकता हैं . 

साहेब, जय सतनाम ,
नगिनत प्रणाम स्वीकार करें. भगवान आपको परम ज्ञान  को प्राप्त करने का आशीर्वाद दे. सतनाम गढ़ परम निर्गुण पिता और महान गुरू बाबा जी का बहुत-बहुत धन्यवाद, की हम आप तक पहुँच पा रहे  हैं.
यह ब्लॉग  सतनाम पंथ के प्रथम गुरु और महान संत श्री गुरु घासीदास की महिमा और आशीर्वाद के ज़रिये से संभव हो पाई है. हम सिर्फ एक माध्यम  है, आपके चरणों के सामान  सम्पूर्ण जगत  की धूल हैं. हम केवल गोबर  के कीटाणु  के बराबर हैं और कुछ भी कहने  यां लिखने की सामर्थ  नहीं रखते. यह सब गुरु बाबा की  मंज़ूरी से ही पूर्ण हो रहा है.
कोई भी ब्यक्ति  किसी दूसरे ब्यक्ति की बराबरी नहीं कर सकता, सबका भाग्य अद्वितीय और अलग  है, सबकी निष्ठा अलग  है. हमारे  गुरु बाबा से तुलना नहीं करना  चाहिए. गुरु बाबा सर्वशक्तिमान्‌ और सम्पूर्ण ज्ञाता थे. वे संत सिरोमणि-सतगुरु थे और उन्होंने हमे बहुत ही प्रेम  से सतनाम  के रूप में ब्रह्म ज्ञान की सिख दी है.
जो भी व्यक्ति इस सतनाम  की पालन अपने रोज़ाना जीवन में  करता है, वो सतनामी  बन जाता है जैसा की गुरु बाबा कहते है कि '' जिही घर प्रेम न प्रीति रस, नही जाने सतनाम, ते नर ये संसार में  उपजी भये बेकम ''. जो भी कुछ हो रहा है और जैसा भी हो रहा है वह उस परमात्मा की कृपा से ही हो रहा है, होगा और सदियों तक  होता रहेगा. सब कुछ करने वाला वह सत पुरुष सतनाम आप ही है.
हम अपेक्षा करते हैं की सतनाम जागरण के इस पावन कार्य में आप लोग भी हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे और इस ब्लॉग में लिखे लेखों के ज़रिये सतनाम सत्संग करते रहेंगे .
परमपूज्य गुरु बाबा  आपको सतनाम की आशीष दें,सतनाम के ऊपर ध्यान लगावे , सतनाम परख के देखे और मेहनत करे, मेहनत करने,प्रेममय निष्ठा रखने और इच्छा रहित नि:स्वार्थ सेवा करने का बल दें , उदारता और दरियादिली और सिर्फ नि:स्वार्थ अभिवृत्ति प्रदान करे . जय सतनाम ....
दीनानाथ खूंटे, सतनामगढ़, सारंगढ़ .

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