शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022

लोहर ने धर्मांतरण को बढ़ावा दिया


: शुरुआत का शहर  

लोहर 31 मई को राज्य की वर्तमान राजधानी रायपुर पहुंचे। कर्नल बाल्मैन की सलाह, मदद और समर्थन के साथ, लोहर एक मिशन स्टेशन स्थापित करने के लिए रायपुर और बिलासपुर के बीच स्थित 1544 एकड़ भूमि खरीदने में सक्षम थे। [14] चूंकि यह मानसून का मौसम था, भारी बारिश ने एक महीने से अधिक समय तक लक्ष्य क्षेत्र में मिशन कार्य शुरू करने को रोक दिया। इस बीच लोहर ने सतनामी लोगों के धर्म और समाज के बारे में जाना। [15] सतनामी मूल रूप से चमार थे , चमड़े के श्रमिक जिन्होंने चमार गुरु घासीदास की शिक्षाओं का पालन किया थासतनाम पथ के सुधारक और संस्थापक, सच्चे नामर्स (सत नामी) के संप्रदाय। गुरु घासीदास (1785-1850) ने उन्हें मूर्तिपूजा त्यागने, सतनाम (सच्चा नाम) के रूप में भगवान की पूजा करने की शिक्षा दी थी, जब तक कि यह प्रकट न हो जाए, और यह रहस्योद्घाटन उनके लिए एक टोपीवाला, एक टोपी वाला व्यक्ति लेकर आएगा। एक यूरोपीय ईसाई या एक ईसाई मिशनरी का जिक्र)। [16]

रायपुर में रहते हुए, लोहर बेकार नहीं बैठे, बल्कि कई गतिविधियों में लगे रहे। वह रविवार को सैन्य अधिकारियों के लिए सेवाओं का संचालन करके उनकी सेवा कर रहा था। उन्होंने रायपुर जेल में बंदियों से मुलाकात कर जेल मंत्रालय का संचालन किया। उन्होंने एक स्कूल भी शुरू किया जहां वे दैनिक रूप से अन्य प्राथमिक विषयों के साथ-साथ ईसाई शिक्षाओं को पढ़ाते थे। इस स्कूल के लोहर के छात्र बाद में विसरामपुर मिशन स्टेशन में उनके सहयोगी बन गए और धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवा की। [17]इस प्रकार रायपुर में संडे चर्च मिनिस्ट्री, स्कूल फॉर एलीमेंट्री एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर (जो शायद साथ-साथ चलता था), जेल मिनिस्ट्री और चेला बनाने (धर्मांतरित लोगों को सलाह देने) की नींव रखी गई थी। रायपुर विभिन्न मिशन गतिविधियों की शुरुआत का उनका शहर था। ये छोटे अग्रणी प्रयास थे और दुर्भाग्य से कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। रायपुर स्कूल में उनके कई छात्र सतनामी पृष्ठभूमि से आए और उन्हें भंडार में मुख्य सतनामी गुरु से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेवरेंड लोहर तब एक वार्षिक सतनामी उत्सव गुरुपूजा के दौरान भंडार गए थे और उनका बहुत गर्मजोशी, सम्मान और स्नेह के साथ स्वागत किया गया था। उनके लिए, यह वही व्यक्ति था जिसके बारे में गुरु घासीदास ने बताया था। [18]

बिसरामपुर: आराम का शहर

लोहड़ उस जमीन पर चले गए जिसे उन्होंने बारिश बंद होने पर खरीदा था। वहां, वे शुरू में घने जंगल और जंगली जानवरों के खतरों के बीच झोपड़ियों में रहते थे। धीरे-धीरे एक बंगला बनाया गया और उस जगह का नाम आराम का शहर बिसरामपुर रखा गया। यह लोहर के मध्य भारत मिशन का मुख्यालय बन गया, जिसे तब छत्तीसगढ़ मिशन (जीईएमएस के भीतर) के रूप में जाना जाता था। पहला क्रिसमस यहीं मनाया गया था और बताया जाता है कि इस कार्यक्रम में लगभग 1000 सतनामियों ने भाग लिया था। अगले रविवार को हुए पहले बपतिस्मा ने सतनामियों के बीच भारी विरोध पैदा कर दिया। स्थिति अत्यंत शत्रुतापूर्ण हो गई। सतनामी ईसाई नहीं बनना चाहते थे। क्या यह सतनामपंथ में केंद्रित उनके व्यक्तिगत सामाजिक-धार्मिक ढांचे के कारण था या परिवार के सदस्यों या ग्रामीणों के किसी दबाव के कारण, आगे की खोज का विषय बना हुआ है। यह निश्चित रूप से स्पष्ट है कि वे अपना धर्म नहीं बदलना चाहते थे। लोहर को किसी भी हाल में यह अहसास हो गया था कि वे अपना सतनामी पंथ नहीं छोड़ेंगे। मान-सम्मान की जगह उत्पीड़न और विरोध ने ले ली। एक जन आंदोलन देखने का लोहर का सपना लगभग पूरी तरह से तबाह हो गया था। विश्राम का नगर अशांति का स्थान बन गया था! यह चुनौतियों और संघर्षों का स्थान भी बन गया। हालाँकि, लोहर ने आशा नहीं छोड़ी और बीमारों को उपदेश देना, सिखाना और चंगा करना जारी रखा।[19] इस बीच कुछ और मिशनरी आए और लोहर में शामिल हो गए लेकिन स्वास्थ्य कारणों से जारी नहीं रह सके। लोहर निरुत्साहित या निराश हुए बिना परिश्रम करता रहा। और यद्यपि कोई जन आंदोलन नहीं था, व्यक्तिगत धर्मांतरितों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी। 15 फरवरी, 1873 को परमेश्वर के इस जन के लिए खुशी फिर से बढ़ गई जब उन्होंने छत्तीसगढ़ में पहले चर्च की नींव रखी। 29 मार्च, 1874 को बिसरामपुर का इमैनुएल चर्च समर्पित किया गया था। [20] चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के प्रबंधन के तहत चर्च का अस्तित्व बना हुआ है।

चर्च के समर्पण के तुरंत बाद, लोहर को नए मिशनरियों की चुनौतियों और उनकी गलतफहमियों का सामना करना पड़ा। युवा मिशनरियों ने बड़ी संख्या में धर्मान्तरित और एक आरामदायक कार्य क्षेत्र की अपेक्षा की थी। शत्रुतापूर्ण सतनामियों और कभी-कभी होने वाले छोटे-छोटे बपतिस्मा और अन्य बातों के साथ-साथ शिक्षा, सुसमाचार प्रचार और स्वास्थ्य देखभाल के छोटे-छोटे कार्यों को देखकर वे निराश थे। इसके अलावा, लोहर एक सख्त व्यक्तित्व के थे। नतीजतन, नए मिशनरियों ने लोहर और उनके नेतृत्व को छोड़ दिया। लेकिन लोहर ने मसीह के लिए सतनामियों को जीतने की आशा रखी। यह आशा कुछ हद तक बाद की अवधि में क्रिश्चियन चर्च (डिसिपल्स ऑफ क्राइस्ट) मिशन के साथ महसूस की जानी थी। मसीह के शिष्य, उन्नीसवें का फलसंयुक्त राज्य अमेरिका में शताब्दी पुनरुद्धार आंदोलन (स्टोन-कैंपबेल आंदोलन) ने 1885 में बिलासपुर (बिसरामपुर के पास) में अपना मिशन स्टेशन स्थापित किया। डोनाल्ड मैकगावरन इस मिशन एजेंसी के एक प्रसिद्ध मिशनरी थे। [21]

लोहर ने अपने "निर्भीक विश्वास, साहस और भक्ति ..." के साथ अपने मिशन को जारी रखा [22] मिशन कार्य के पहले दशक के अंत तक इमैनुएल चर्च ने मिशन के सबसे महत्वपूर्ण विकास को चिह्नित किया। एक समान रूप से महत्वपूर्ण उपलब्धि जूलियस लोहर का मार्क ऑफ गॉस्पेल का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद था। स्थानीय बोली में उपलब्ध होने वाला यह बाइबिल का पहला भाग था। [23] इस समय के दौरान, पिता-पुत्र टीम (ऑस्कर और जूलियस) ने शुरुआती ईसाइयों को पढ़ाने में काफी समय दिया। मिशन के काम की वृद्धि स्थिर थी।

बिसरामपुर, एक बड़े मिशन परिसर की तरह, सभी शुरुआती धर्मान्तरितों का घर था। उनमें से कुछ बगल के गणेशपुर गांव में भी रहते थे। लेकिन उनमें से ज्यादातर का तबादला रायपुर से कर दिया गया था, जहां पहले काम शुरू हुआ था। 1883 तक बिसरामपुर में नए ईसाई विश्वासियों की संख्या बढ़कर 175 हो गई थी, और अगले सात वर्षों में यह संख्या कुल 258 व्यक्तियों तक पहुँच गई। [24] 1884 तक, बिसरामपुर के अलावा, तीन और मिशन स्टेशन थे - रायपुर, बैतालपुर, और परसाभादर। ईसाइयों की संख्या 1125 (सभी स्टेशनों को मिलाकर) पहुंच गई थी। ग्यारह स्कूल, 31 शिक्षक और 12 कैटेचिस्ट थे। [25] अद्भुत विकास!

मंगलवार, 21 जून 2022

रुद्राक्ष यात्रा एक नजर में...

रुद्राक्ष यात्रा 2 जून से  8 जून 2022

छत्तीसगढ़ प्रांत के रायगढ़ जिले में सारंगढ़ विकासखंड जो कि महानदी के किनारे बसा हुआ है। धन- धान्य से समृद्ध है, साथ ही धार्मिक- आध्यात्मिक दृष्टि से भी संपन्न है। अनेक प्राचीन मंदिर है। किंतु हिंदू समाज की कुरीति ऊंच - नीच का भेद भाव भी व्याप्त है। जिसके कारण समाज समरस नहीं हो पाता। आपस में सौहार्द पूर्ण वातावरण नहीं है। इसका लाभ उठाकर ईसाई मिशनरी संस्थाएं समाज में फुट पैदा कर, अंधविश्वास और प्रलोभन के द्वारा मतान्तरण का का कुचक्र चला रही है। आज भी सारंगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में छुआछूत व ऊंच-नीच की भावना व्याप्त थी और विधर्मी शक्तियां इनका फायदा उठा कर क्षेत्र में मतांतरण का कुचक्र चला रहे थे इस वजह से हिंदू समाज की विभिन्न जातियों में बड़ी दूरियां थी। संघ परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को यह बात बहुत चुभती थी। धर्म जागरण समन्वय की बैठक में यह विषय अक्सर कार्यकर्ता उठाते थे सतनामी समाज के लोग धर्म जागरण के अच्छे निष्ठावान कार्यकर्ता है इन परिस्थितियों में धर्म जागरण समन्वय क्षेत्र प्रमुख रेवाराम जी के दिमाग में "रुद्राक्ष यात्रा" निकालने का विचार आया और इसे मूर्त रूप देने में जुट गए। सारंगढ़ प्रवास किया, बैठकें की और स्थानीय कार्यकर्ताओ को आगे ला कर कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई। धीरे-धीरे अन्य कार्यकर्ता भी इस अभियान में जुटते गए और यात्रा चल पड़ा। लोग जून महीने की तपती धूप व भीषण गर्मी में सभी भेद भाव भूलकर रुद्राक्ष भगवान का स्वागत वंदन करने निकल पड़े। महामंडलेश्वर श्री सुरेशानंद सरस्वती जी के हाथों से निःशुल्क अभिमंत्रित रुद्राक्ष लेकर श्रद्धा, भक्ति व समर्पण भाव से पुजन करने लगे। सुबह 9 बजे से यात्रा चलती तो रात्री 10 बजे तक श्रद्धालु पूजन करते रहे।


रुद्राक्ष यात्रा एक नजर में...

1.  यात्रा 7 दिनों में 60 ग्राम एवं शहर के 13 बस्तियों तक गई।

2.  रुद्राक्ष यात्रा सफल बनाने के लिए एक आयोजन समिति बनाकर 35 कार्यकर्ता लगातार कार्य करते रहे।

3.  ग्राम वासियों ने अपने अपने घर के मुख्य द्वार पर कलश सजाकर रंगोली बनाकर दीपक लगाकर स्वागत किए।

4.  यात्रा में महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति देखते ही बनती थी।

5.  सभी भेदभाव मिटाकर समाज को एक सूत्र में पिरोने वाली इस यात्रा से राजनीतिक नेता भी अछूते नहीं रहे।

6.  यात्रा के दौरान 51 हजार रुद्राक्ष के दाने निशुल्क वितरण किए गए।

7. अयोजन समिति के 15 कार्यकर्ता यात्रा में 7 दिन तक साथ रहे।

देश में पहली बार, रुद्राक्ष आए द्वार द्वार

रुद्राक्ष यात्रा में उमड़ा जनसैलाब 


सभी भेद मिटाने और समाज का आत्म गौरव जगाने निकली यह यात्रा सारंगढ़ क्षेत्र की सुख समृद्धि एवं प्रगति के लिए सभी के बीच में रुद्राक्ष यात्रा निकालने का निश्चय किया गया इस हेतु एक आयोजन समिति बनाई गई।
 2 जून 2022 को महानदी मध्य स्थित शिव मंदिर टीमरलगा से रुद्राक्ष यात्रा निकली और समपन 8 जून 2022 को राजापारा सारंगढ़ में हुई।

 
यात्रा के पहले दिन टीमरलगा, गुडेली, गोडम एवं रेड़ा में जन सैलाब उमड़ पड़ा जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ता गया काफिला आता गया लोग स्व प्रेरित होकर यात्रा के साथ चलने लगे। जगह जगह पर घरों के द्वार में कलश सजाए गए महिलाओं ने आरती उतारकर रुद्राक्ष भगवान की पूजा की और महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री सुरेशानंद सरस्वती जी ने सभी को निःशुल्क रुद्राक्ष प्रदान किए। कुछ स्थानों पर केवल भ्रमण का कार्यक्रम था लेकिन लोगों की उमड़ती हुई भीड़ को देखते हुए इसे सभा में तब्दील कर दिया गया इस कार्य के लिए समाज के सभी वर्ग व समूहों को जोड़ा गया। धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिला


रुद्राक्ष यात्रा को मिली ऐतिहासिक सफलता


 
धनवंतरी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री सुरेशानंद सरस्वती जी महाराज पूरे समय यात्रा में रहे
 आर्य समाज के पूज्य संत श्री राकेश आचार्य एवं घर वापसी अभियान प्रमुख श्री प्रबल प्रताप सिंह जूदेव
 धर्म जागरण समन्वय क्षेत्र प्रमुख आदरणीय श्री रेवाराम भाई 
 धर्म जागरण समन्वय छत्तीसगढ़ प्रांत प्रमुख श्री राजकुमार चंद्रा जी
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रायगढ़ जिला प्रचारक भैया ईश्वरीलाल कुंभकार जी 

 भाजपा छत्तीसगढ प्रदेश संगठन महामंत्री श्री पवन साय जी 

 भाजपा रायगढ़ जिला अध्यक्ष श्री उमेश अग्रवाल जी, रायगढ़ राज परिवार के युवराज जिला पंचायत सदस्य श्री देवेंद्र प्रताप सिंह जी, धर्म रक्षा वाहिनी प्रांत प्रमुख श्रीमती राजमती चतुर्वेदानी जी,
धर्म जागरण प्रांत के पदाधिकारी श्री आनंद दास महंत जी सहित सभी प्रमुख कार्यक्रम में शामिल हुए।


रुद्राक्ष अर्थ है रुद्र +अक्ष अर्थात भगवान शिव के आंसू से जिसकी उत्पत्ति हुई है। शिव पुराण में कहा गया है जो रुद्राक्ष धारण करता है वह स्वयं शिव मय हो जाता है।

वैदिक काल से ही अलौकिक शक्ति से युक्त बीज रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक तथा तांत्रिक साधना कोपओं में किया जाता रहा है। भारतीय ज्योतिष में रुद्राक्ष की विशेष उपयोगिता है ग्रहों के दुष्प्रभाव को नष्ट करने का यह एक अचूक उपाय है। इसे धारण करने वाले का भूत प्रेत आदि की कोई समस्या नहीं रहती वह निर्भय होकर कहीं भी भ्रमण कर सकता है।

आयुर्वेद के ग्रंथों में रुद्राक्ष को महा औषधि के रूप में वर्णित किया गया है इसके वृक्ष की छाल पुष्प व बीज से हृदय रोग श्वास रोग की औषधियां बनाई जाती है। अनेक प्रकार के मनोरोगो का भी इलाज होता है जैसे तनाव, चिंता, एकाग्रता का अभाव इत्यादि इस प्रकार आदिकाल से ही रुद्राक्ष सिद्धि दायक, पाप नाशक, पुण्य वर्धक, रोग नाशक तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है। रुद्राक्ष का यह दैवीय वृक्ष अखंड भारत नेपाल से लेकर जावा, सुमात्रा में भी पाया जाता है।
 
अपना जनजाति समाज प्रकृति पूजक है और रुद्राक्ष भी प्रकृति का अनमोल प्रसाद है जिसकी महिमा अब सारा विश्व जानने लगा है। यह अपनी पुरातन संस्कृति का प्रतीक भी है इसी से प्रेरित होकर पूर्व में सारंगढ़ क्षेत्र में रुद्राक्ष महाभिषेक का आयोजन संपन्न हुआ था जिसमें 1500 जजमानो ने जोड़े में सम्मिलित होकर अभिषेक किया था। इसी कड़ी में रुद्राक्ष को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाने के लिए रुद्राक्ष यात्रा का यह आयोजन किया गया

जिसमें महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 संत श्री सुरेशानंद सरस्वती जी से प्रेरणा लेकर उनकी उपस्थिति में रुद्राक्ष यात्रा का सात दिवसीय आयोजन किया गया।

यह यात्रा 7 दिनों में 60 गांव का भ्रमण की जिसकी शुरुआत 2 जून 2022 को टीमरलगा स्थित शिव मंदिर से हुई इस दौरान घर वापसी अभियान प्रमुख हिंदू कुलदीपक आदरणीय प्रबल प्रताप सिंह जूदेव जी एवं आर्य समाज के युवा संन्यासी आचार्य राकेश जी ने टीमरलगा ग्राम में सभा की और श्रद्धालुओं को निशुल्क रुद्राक्ष प्रदान किए।

यात्रा का गुडेली में भव्य स्वागत हुआ माताओं बहनों द्वारा आरती पूजन की गई बच्चे व बूढ़े सभी ने महामंडलेश्वर जी के हाथों से निशुल्क रुद्राक्ष का प्रसाद प्राप्त किया

दोपहर का भोजन बंजारी में हुआ और हिररी ग्राम का भ्रमण किया गया। रुद्राक्ष यात्रा का गोड़म में अनेक स्थानों पर पूजन किया गया सुवाताल में माताओं बहनों द्वारा घर के मुख्य द्वार पर कलश जलाकर यात्रा का स्वागत किया गया। हरदी ग्राम की बीच बस्ती में यात्रा की सभा हुई और रात्रि का भोजन ग्राम रेडा में हुआ जहा पर यात्रा देर रात को पहुंची 10 बजे रात्रि तक श्रद्धालु शिव भक्त यात्रा का इंतजार करते रहे। इसी के साथ यात्रा का पहला दिन का विश्राम हुआ।
रूद्राक्ष यात्रा रूट चार्ट
2 जून 2022
1.टीमरलगा = प्रारंभ सुबह 10.00 बजे 
2.गुडेली      = भ्रमण  11.30 
3.बंजारी     = भ्रमण स्वागत दोप. 2.00 
4.गोडम      = भ्रमण पूजन दोप. 2.30 
5.हिररी       = भ्रमण दोप. 3.00 
6.सुवाताल  = भ्रमण पूजन संध्या 4.00 
7.हरदी       = भ्रमण पूजन संध्या 4.30 
8.रेडा         =  पूजन संध्या 5.30 
9.कोतरी : संध्या 7. 00 बजे  विश्राम

3 जून 2022
00. कोतरी   = प्रारंभ सुबह 9.00
10. उधरा     = पूजन 9.30
11.पचपेड़ी   = भ्रमण 10.00
12.सुलोनी    = भ्रमण 10.45
13.सुंदराभाटा= भ्रमण 11.30
14.उलखर : दोपहर 12.30 विश्राम 
15.छोटे गंतुली = भ्रमण 2.30
16.बड़े गंतूली = भ्रमण 3.15
17.जशपुर     = भ्रमण 5.00
18.अंडोला     = भ्रमण 6.00 विश्राम
19.दहीदा : रात्रि 7.30 

4 जून 2022
00. दहीदा    = प्रारंभ सुबह 9.00
20.मल्दा     = भ्रमण 9.15
21.पासीद।  = भ्रमण 10.15
22.सिंघनपुर = भ्रमण 11.15
23.भाठागांव = भ्रमण 12.15
24.कोसीर : दोपहर 12.45 विश्राम
25.कुम्हारी = भ्रमण 3.15
26.रक्सा         = भ्रमण 4.15
27.चनामुंडा     = भ्रमण 5.30
28. लेंधरा       = भ्रमण 6.30
29.साल्हे : रात्रि 7.30 विश्राम 

5 जून 2022
00. साल्हे       = प्रारंभ सुबह 8.30
30.परसदा बड़े = भ्रमण 9.00
31.टाड़ीपार    = भ्रमण 10.00
32.खजरी     =  भ्रमण 10:30
33.पिकरी     = भ्रमण 11:15
34.पहांदा     = भ्रमण 11:45
35.डोमाडीह = भ्रमण 12:15
36.केडार : दोपहर 12:45 विश्राम
 37.नावागांव    = भ्रमण 3:45
38.लिमगांव      = भ्रमण 5:00
39.खोखसीपाली= भ्रमण 6:15
40.कटेली          = रात्रि 7:30 विश्राम 

6 जून 2022
00. कटेली     = प्रारंभ 8:30
41.सरायपाली= भ्रमण 8:45
42.सोंडका     = भ्रमण 9:30
43.नवापारा    = भ्रमण 10.15
44.कवलाझर = भ्रमण 11:00
45.बीरसिंहडीह= भ्रमण 11:30
46.अमाकोनी। = भ्रमण 12:30
47.बटाऊपाली : दोपहर 1:00 विश्राम 
48.सालर         = भ्रमण 3:00
49.छातादेई      = भ्रमण 3:30
50.अमलीपाली = भ्रमण 4:00
51.कपरतूंगा    = भ्रमण 4:30
52.रोहिना        = भ्रमण 5:45
53.बनहर        = भ्रमण 6:45
54.सालर : रात्रि 7:30 विश्राम 

7 जून 2022
00. गोडा       = प्रारंभ  8:30
55.बघनपुर   = भ्रमण सुबह 8:45 
56.बंधापाली  = भ्रमण 9:15
57.फर्सवानी   = भ्रमण 10:00
58.सिंगारपुर  = भ्रमण 10:45
59.घौटला     = भ्रमण 11:30
60.अमझर   = भ्रमण 12:00
61.नवरंगपुर : दोपहर 1:00 विश्राम 
62.खर्री         = भ्रमण 4:00
63.मौहाढूंढा   = भ्रमण 5:00
64.अमेठी       = भ्रमण 6:15
65.दानसरा : रात्री 7:00 विश्राम 

8 जून 2022
66. सारंगढ़ प्रवेश प्रातः 9:30
67.कमला नगर 
68.फुलझरिया 
69.भट्ठी चौक त्रिनाथ गुरुजी घर के पास 
70.सम्राट चौक 
71.छोटे मठ 
72.नंदा चौक 
73.सदर बाजार रोड़ 
74.पोस्ट ऑफिस चौक  
75.पुराना बस स्टैंड 
76.नया तालाब रोड़ 
77.आजाद चौक 
78.भारत माता चौक 
79.माटी तेल टंकी चौक  
80.बैंक ऑफ बड़ौदा 
81.जय स्तंभ चौक 
82.केडिया चौक 
83.बीड़पारा 
84.गुप्ता होटल 
85.पैलेस रोड़ 
86.पैलपारा 
87.राजा पारा यात्रा समापन एवं पूजा स्थल

विषेश आग्रह पर उच्चभिट्ठी ग्राम पहुंची यात्रा

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

रुद्राक्ष यात्रा के लिये स्लोगन

जिसको ऋषि-मुनियों ने धारा,
वह रुद्राक्ष है जग से न्यारा।।

रुद्राक्ष दिव्य प्रसाद है,
शिव जी का आशीर्वाद है ।।

हर ग्राम रुद्राक्ष मय होगा,
हर व्याधि से निर्भय होगा ।।

हर गांव घर घर जाएंगे,
रुद्राक्ष की महिमा सुनाएंगे ।।

रुद्राक्ष की महिमा न्यारी है,
अलौकिक और चमत्कारी है ।।

रुद्राक्ष की है अद्भुत माया,
निर्मल मन निरोगी काया ।।

जो रुद्राक्ष से करता स्नेह,
रहे निरोगी उसका देह ।।

जो फेरे रुद्राक्ष की माला,
ना व्यापे रोग की ज्वाला ।।

दाई भुजा बांधे जो वीरा,
संकट कटे मिटे सब पीरा ।।

इसे कुमारी घर में लावे, 
तो मन वांछित वर पावे ।। 

विधिपूर्वक करे जो धारण,
हो उसके हर कष्ट निवारण ।।

श्रद्धा सहित रुद्राक्ष जो धारे,
उसके हो जाए वारे न्यारे ।।

जिस घर में हो रुद्राक्ष का पूजन,
सुख संपत्ति खेले नित्य आंगन ।।

यह रुद्राक्ष हैं मंगलकारी,
संकट मोचन भवभय हारी ।।

सृष्टि सृजन का साक्ष्य,
यह दिव्य महा रुद्राक्ष ।।

जब भी यह रुद्राक्ष गहो,
ओम नमः शिवाय कहो ।।

हाथ गले या कमर में धारों,
इस रुद्राक्ष से कष्ट निवारो ।।

आओ सब मिलकर अपनाएं,
इस रुद्राक्ष का लाभ उठाएं ।।

यह रुद्राक्ष औषधि विख्यात है,
धरती का यह पारिजात है ।।

है रुद्राक्ष अलौकिक फल,
इससे मिले बुद्धि और बल ।।

तन मन को ऊर्जा देता है,
पाप ताप को हर लेता है ।।
रुद्राक्ष भगवान की जय

बुधवार, 2 दिसंबर 2020

कर्म सुधारो जीवन सुधरेगी

*होनी तो प्रबल है*
*सीता विवाह और राम का राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त में किया गया। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न राज्याभिषेक।*
*जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया।*

*सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।*
*लाभ हानि, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ।।*

*अर्थात, जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा। न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के। न ही शिव ने शती के मृत्यु को टाल सके, जबकि मृत्युंजय मंत्र उन्ही का आवाहन करता है।*

*इस लिए यदि अपने जीवन मे परिवर्तन चाहते हैं, तो अपने कर्म बदलें। आप के मदद के लिए स्वयं आपकी आत्मा और परमात्मा दोनों खड़े है। उसे पुकारें। वह परमात्मा ही आप का सच्चा साथी है।*
*परमपिता परमात्मा से ज्यादा शुभ चिंतक भला कौन हो सकता है हमारा ?*

*परीक्षा संसार की।*
*प्रतीक्षा परमात्मा की।*
*और समीक्षा अपनी करनी चाहिए।*
                       
*लेकिन हम परीक्षा परमात्मा की।*
*प्रतीक्षा सुख की और समीक्षा दूसरों की करते हैं।*

सतनाम पंथ की विशेषता

सतनाम पंथ जिसे आजकल धर्म कहे जा रहे हैं  इनमें प्रमुखत: 4 शाखाएं है इनमे पहला 
नारनौल खत्री जाट आदि  दुसरा   मेवात  जाट  गुर्जर क्षत्रिय तीसरा  कोटवा शाखा में ब्राह्मण  ‌राजपूत हैं।  
सतनाम पंथ के चौथी  छत्तीसगढ शाखा में सहजयानी बौद्ध  शैव अधिकतर है इनमे   65 गोत्र हैं।
उनमें  ऋषि या ब्राह्मण  जैसा गोत्र हैं- भारद्वाज -भट्ट ,भतपहरी  
     धृतमंद - धृतलहरे 
     शाडिल्य - शोड्रे 
    जन्मादग्नि -जांगडे 
     मारकंडेय - मारकंडेय 
      कश्यप -  कोसरिया /कोसले 
    चतुरवेदानी ,टंडन , जैसे गोत्र मिलते हैं।
इसी तरह कुर्मी के बधेल ,आडिल , चंदेल आदि ।
राउत के रात्रे, करसायल , पाटले पहटिया , गहिरे गहिरवार गायकवाड़ आदि 
 तेली के गुरुपंच , सोनबोइर ,सोनवर्षा , सोनवानी इत्यादि। 
   सतनामी में सर्वाधिक तेली व राउत जाति के लोग है।
सत‌नाम पंथ एक जातिविहिन समुदाय हैं। इनमें सभी जातियों का समागम हैं।
     यहाँ गोत्र है जाति पुरी तरह विलिन हो गये हैं। 
कबीर पंथ में अब भी जातियाँ हैं और वहाँ रोटी -बेटी नहीं है बल्कि हिन्दु धर्म का अभिन्न अंग हैं।
सत‌नाम पंथ हिन्दू जरुर लिखते हैं पर न हिन्दू उन्हे हिन्दू मानते हैं न सतनामी स्वयं को हिन्दू धोषित करते हैं। 
         छत्तीसगढ़ के इस प्रमुख पंथ जिनकी संख्या ३०-४० लाख के आसपास है और कृषि मुख्य पेशा हैं।  वर्तमान में अनु जाति वर्ग में चिन्हाकित हैं। यह समुदाय अपनी पृथक सांस्कृतिक अस्मिता के लिए विश्व विख्यात हैं। सात्विक खान -पान, रहन- सहन और सत्यनिष्ठ जीवन शैली इनकी विशेषता हैं। अंग्रेज भी सतनामियों ‌की‌ उक्त जीवन शैली से बेहद प्रभावित रहे फलस्वरुप जब राजतंत्र का खात्मा हो रहे थे तब १८२० में इसके धर्म गुरुघासीदास के पुत्र गुरुबालकदास को राजा धोषित कर १६ गांव समर्पित किए तथा इस समाज से  81 खास लोगो को  मालगुजार  बनाए व  262  गौटिया पंजीकृत किए।
      इस तरह देखे तो छत्तीसगढ़ में यह समाज बेहद प्रभावशाली रहा है। आरंभ से ही सुसंगठित रहा है। तथा शासन प्रशासन में सक्रिय  भागीदारी रहा है। बावजूद शांति प्रिय  संत सदृश्य समाज जिनके साथ आरंभ से अमानवीय व्यवहार होते आ रहे हैं। आजादी के आन्दोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर इसलिए किए कि अपेक्षित बदलाव आएगा। पर दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति रही  कि इस  समाज  के साथ निरंतर अपमान जनित व्यवहार से क्षुब्ध आक्रोश से  अधो:पतन की ओर अग्रसर हैं।  इनके साथ आज भी दोयम दर्जे का व्यवहार होते आ रहे हैं। 
   अपनी अस्मिता  की प्रति जब जब यह समाज आन्दोलित होते हैं। उसे कुचल दिए जाते हैं। और गाहे बगाहे अवहेलना जनित व्यवहार किए जाते हैं। ताकि इनमे आत्मविश्वास जागृत न हो सके ।इनके लिए  सामाजिक तिरस्कार का धातक हथियार इस्तेमाल कर सडयंत्र  किए जाते रहे हैं। 
     जय सतनाम
डॉ. अनिल भटपहरी

बुधवार, 25 नवंबर 2020

सारंगढ़ राज को महामारी से बचाने हेतु युवराज नरेश चंद्र जी ने निभाई थी महती भूमिका।।

(स्व. राजा नरेशचन्द्र सिंह जी की 112वीं जन्मतिथि के अवसर पर)
सारंगढ़ रियासत को हैजा महामारी से बचाने के लिए प्रजाओं के मनसे इन्जेक्शन का डर हटाने की कहानी

एक समय था जब हैजा (Cholera) भारत की सबसे 
बड़ी जानलेवा महामारी था। इसकी एक एक खेप (या आज की भाषा में 'वेव') लाखों लोगों की जान ले जाती थी। वैक्सीन आने तक यही सिलसिला आम था। 
एक 'वेव' 1941 से 45 के बीच भी आयी थी। दूसरा विश्वयुद्ध उन दिनों जारी था। बंगाल के साथ साथ देश के अन्य इलाके भीषण अकाल और भुखमरी की चपेट में थे। देश की कृषि पैदावार फौजियों के लिये थी और बाकी इंगलैंड भेज दी गयी थी। डाॅक्टर और स्वास्थ्य कर्मी फौज में ले लिये गये थे। दवाईयां फौजी इस्तेमाल में खप जा रही थीं। 
देश में स्थिति भयावह थी। बंगाल में अनेक गांवों में गलियाँ लाशों से पटने की खबरें आम हो गयी थीं। सारंगढ़ राज्य भी इस महामारी की चपेट में था। 
श्री शरदचंद्र बेहार Sharad Behar मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रहे हैं। उनका जन्म छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ में हुआ और बचपन भी यहीं बीता। 1944 में वे 5 वर्ष के थे। वे दुखी मन से याद करते हैं इस दौरान उन्होंने अपने घर से एक दिन में तीन शव निकलते देखे थे। 
किन्तु कुछ मामलों में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर थी। अनाज की उपलब्धता में कमी नहीं होने दी गयी थी। सारंगढ़ स्टेट के अपने डाॅक्टर और स्वास्थ्य कर्मी थे जिनकी मौज़ूदगी भी महत्वपूर्ण साबित हो रही थी। बाकी सारे विभागों के कर्मचारियों को भी हैजा नियंत्रण के काम में लगाया गया था। 
किन्तु सबसे बड़ा 'गेम-चेन्जर' साबित हुआ था हैजे का वैक्सीन। विश्व युद्ध के कारण पैदा हुई स्थितियों के बावज़ूद  अपने संबंधों का इस्तेमाल कर राजा जवाहिर सिंह सारंगढ़ राज्य के लिये वैक्सीन प्राप्त करने में सफल हुए थे। खड़गपुर में जहाँ इन दिनों प्रसिद्ध आय.आय.टी. है वहां उन दिनों अमरीकी एयरफोर्स का बेस हुआ करता था। खड़गपुर और नागपुर के बीच उड़ने वाले विमान सारंगढ़ में ईंधन लेने के लिए रुकते थे। अमरीकी सैनिकों के लिए खड़गपुर पहुंची सप्लाई में से पेनिसिलिन के इन्जेक्शन और हैजा वैक्सीन भारत के इस हिस्से में पहली बार विमानों के ज़रिये सारंगढ़ तक पहुंचे थे। (पेनिसिलिन की कहानी फिर कभी)। 
हैजा का वैक्सीन पहली बार प्राप्त करना ज़ाहिर है बहुत मुश्किल काम था। किन्तु इससे कहीं अधिक मुश्किल काम इसके आगे था, लोगों को यह वैक्सीन लगाने का। 
सारंगढ़ के शहरी और ग्रामीण, दोनों, इन्जेक्शन नाम की किसी चीज से परिचित नहीं थे। लोगों को वैक्सीन लगाने का जिम्मा दिया गया मैदान में अगुवाई कर रहे स्टेट के युवराज नरेशचन्द्र सिंह जी को। उनके नेतृत्व में स्टेट के डाॅक्टर और बाकी लोग नगर की गलियों में पैदल और गांवों में साइकिलों में जाया करते थे। टीम के लोग बोरों में भर कर ब्लीचिंग पाउडर और थैलियों में भर कर सल्फाग्युनाडीन पाउडर की एक-एक ग्राम की पुड़िया साथ ले कर चला करते थे। पानी की शुद्धता चाह कर भी संतोषजनक स्तर तक सुनिश्चित करना आसान नहीं था। देश की अधिकांश आबादी पेयजल के लिये तालाबों और आसानी से प्रदूषित हो जाने वाले खुले कुओं पर आश्रित थी। ( आज़ादी के बाद हैण्ड पम्प और बोरवेल का जैसे जैसे चलन बढ़ा, हैजा कम होता गया) 
थोड़ी थोड़ी दूरी पर लोगों को इकट्ठा किया जाता। उन्हें वैक्सीन के लाभ के बारे में समझाईश दी जाती। और फिर किसी सफल स्टेज-शो के क्लाइमेक्स के रूप में युवराज नरेशचन्द्र सिंह जी पूरी नाटकीयता के साथ अपनी बांह ऊपर करते, कौतूहल अपने चरम पर पहुंचता और डाॅक्टर उन्हें इन्जेक्शन की सुई चुभोता। यह सब किया जाता देखने वालों को आश्वस्त करने के लिये कि इन्जेक्शन एक सुरक्षित तरीका है। युवराज को लगाए जाने वाले इन्जेक्शन में वैक्सीन नहीं होता था यह बात उनके अलावा सिर्फ डाॅक्टर जानता था। लेकिन इसके बाद लोग सामने आ जाते और वैक्सीन ले लेते। इससे मृत्यु दर पर तेजी से अंकुश लगाने में बहुत सफलता मिली। लेकिन ऐसे हर दिन के अंत तक तीस से चालीस बार इन्जेक्शन की सुई चुभवाने के कुछ दिनों के बाद जब नरेशचन्द्र जी की बांह सूज गयी तो इस बात को गोपनीय रखा गया ताकि लोग इसे वैक्सीन का दुष्प्रभाव न समझ बैठें।  
1946 में पिता की मृत्यु के बाद नरेशचन्द्र सिंह जी सारंगढ़ के राजा बने। 1 जनवरी 1948 को राज्य का भारतीय गणराज्य में विलीनीकरण करने के बाद वे औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। 1949 से वे मध्यप्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे तथा 1969 में राजनीति से सन्यास की घोषणा करने से पूर्व राज्य के पहले और अब तक के एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री बने। 
राजा नरेशचन्द्र सिंह का जन्म रायपुर के राजकुमार काॅलेज में 21 नवम्बर 1908 के दिन हुआ था। आज उनकी 112वीं जन्मतिथि है। 

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डॉ परिवेश मिश्रा
गिरिविलास पैलेस 
सारंगढ़

सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

चार वर्ण एक शरीर जिसे कहते हिन्दू वीर

मैं हिंदू हूँ -ओशो ने कहा |
जब से मैंने होश संभाला है लगातार सुनता आ रहा हूँ कि
*बनिया कंजूस होता है,*
*नाई चतुर होता है,*
*ब्राह्मण धर्म के नाम पर सबको बेवकूफ बनाता है,*
*यादव की बुद्धि कमजोर होती है,*
*राजपूत अत्याचारी होते हैं,*
*हरिजन अशुद्ध होते हैं,*
*जाट और गुर्ज्जर बेवजह लड़ने वाले होते हैं,*
*मारवाड़ी लालची होते हैं...*
 
और ना जाने ऐसी कितनी असत्य परम ज्ञान की बातें सभी हिन्दुओं को आहिस्ते - आहिस्ते सिखाई गयी !
नतीजा हीन भावना, *एक दूसरे की जाति पर शक और द्वेष धीरे- धीरे आपस में टकराव होना शुरू हुआ और अंतिम परिणाम हुआ कि मजबूत, कर्मयोगी और सहिष्णु हिन्दू समाज आपस में ही लड़कर कमजोर होने लगा !*

उनको उनका लक्ष्य प्राप्त हुआ ! हजारों साल से आप साथ थे...आपसे लड़ना मुश्किल था..अब आपको मिटाना आसान है !

आपको पूछना चाहिए था कि अत्याचारी राजपूतों ने सभी जातियों की रक्षा के लिए हमेशा अपना खून क्यों बहाया ?

आपको पूछना था कि अगर दलित को ब्राह्मण इतना ही गन्दा समझते थे तो बाल्मीकि रामायण जो एक दलित ने लिखा उसकी सभी पूजा क्यों करते हैं ?माता सीता क्यों महृषि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं। 

आपने नहीं पूछा कि आपको सोने का चिड़ियाँ बनाने में मारवाड़ियों और बनियों का क्या योगदान था ? सभी मंदिर स्कूल हॉस्पिटल बनाने वाले लोक कल्याण का काम करने वाले बनिया होते हैं सभी को रोजगार देने वाली बनिया होते हैं सबसे ज्यादा आयकर देने वाले बनिया होते हैं

जिस डोम को आपने नीच मान लिया, उसी के दिए अग्नि से आपको मुक्ति क्यों मिलती है ?

जाट और गुर्जर अगर लड़ाके नहीं होते तो आपके लिए अन का उत्पादन कौन करता सेना में भर्ती कौन होता

जैसे ही कोई किसी जाति की कोई मामूली सी भी बुरी बात करे, टोकिये और ऐतराज़ कीजिये !

याद रहे, *आप सिर्फ हिन्दू हैं । हिन्दू वो जो हिन्दूस्तान में रहते आये है हमने कभी किसी अन्य धर्म का अपमान नहीं किया तो फिर अपने हिन्दू भाइयों को कैसे अपमानित करते हो और क्यों? अब न अपमानित करेंगे और न होने देंगे।*
एक रहे सशक्त रहें !

मिलजुल कर मजबूत भारत का निर्माण करें । 

*मैं ब्राम्हण हूँ*
जब मै पढ़ता हूँ और पढ़ाता हूँ।
*मैं क्षत्रिय हूँ*
जब मैं अपने परिवार की रक्षा करता हूँ।
*मैं वैश्य हूँ*
जब मैं अपने घर का प्रबंधन करता हूँ।
*मैं शूद्र हूँ*
जब मैं अपना मन और घर स्वच्छ रखता हूँ

ये सब मेरे भीतर है इन सबके संयोजन से मैं बना हूँ 

क्या मेरे अस्तित्व से किसी एक क्षण भी इन्हें अलग कर सकते हैं? क्या किसी भी जाति के हिन्दू के भीतर से ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र को अलग कर सकते हैं?

वस्त्तुतः सच यह है कि हम सुबह से रात तक इन चारों वर्णों के बीच बदलते रहते हैं।

मुझे गर्व है कि मैं एक हिंदू हूँ
मेरे टुकड़े-टुकड़े करने की कोई कोशिश न करे।

*मैं हिन्दू हूँ हिन्दुस्तान का*
*मैं पहचान हूँ हिन्दुस्तान का।

रविवार, 27 सितंबर 2020

सारंगढ तहसील क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गांवों की सूची

रायगढ़ जिले, छत्तीसगढ़ की सारंगढ़ तहसील में सभी शहरों और गांवों की सूची।  सारणीबद्ध रूप से जनसंख्या विवरण

#VillagesAdministrative DivisionPopulation
1Achanak PaliSarangarh704
2Achanak Pali Alias ChurelaSarangarh713
3Ama KoniSarangarh185
4AmakoniSarangarh244
5Amal DihaSarangarh812
6AmalidipaSarangarh686
7AmalipaliSarangarh536
8AmethiSarangarh617
9AmjharSarangarh1,281
10Amli PaliSarangarh1,019
11AndolaSarangarh2,367
12BagbandhSarangarh114
13BaghanpurSarangarh401
14BaigindihSarangarh487
15BandhapaliSarangarh576
16BanharSarangarh541
17BanjariSarangarh922
18Bar BhanthaSarangarh797
19BarbhanthaSarangarh971
20BarbhanthaSarangarh480
21BardarhaSarangarh330
22BardulaSarangarh2,429
23BartungaSarangarh501
24BasanpaliSarangarh156
25Basin BahraSarangarh793
26BataupaliSarangarh1,080
27BataupaliSarangarh431
28Behara BahalSarangarh155
29Behra ChuwaSarangarh119
30BelpaliSarangarh180
31BeltikriSarangarh283
32BhadisarSarangarh977
33BhadraSarangarh1,441
34BhadriudanSarangarh156
35BhainjnarSarangarh321
36BhakurraSarangarh625
37BhalupaniSarangarh180
38BhanwardadarSarangarh669
39BhanwarpurSarangarh287
40BhanwarpurSarangarh668
41BhatakonaSarangarh234
42BhathagaonSarangarh1,104
43BhedwanSarangarh2,534
44Bheem KholiyaSarangarh85
45BhikhampuraSarangarh977
46BhimsendihSarangarh400
47BhojpurSarangarh490
48BhothaliSarangarh957
49BohardihSarangarh244
50BoirdihSarangarh988
51BoirmalSarangarh360
52BoridaSarangarh996
53BudeliSarangarh810
54ChanamudaSarangarh191
55ChandaiSarangarh1,051
56ChandaliSarangarh422
57Chanti PaliSarangarh485
58ChanwarpurSarangarh324
59ChharraSarangarh1,679
60Chhata DeiSarangarh889
61ChhataunaSarangarh770
62Chhinch PaniSarangarh115
63ChhindSarangarh2,917
64Chhuhi PaliSarangarh1,238
65ChikhliSarangarh550
66ChingaripaliSarangarh187
67ChurelaSarangarh791
68DabgaonSarangarh256
69DahidaSarangarh2,257
70DalalSarangarh286
71DamdarhaSarangarh516
72DandaidihSarangarh556
73DanganiyaSarangarh501
74DansaraSarangarh2,387
75Darra BhanthaSarangarh391
76DaukijorSarangarh531
77Deogaon PatharipaliSarangarh803
78DeoserSarangarh24
79Dhaura BhathaSarangarh436
80DhutaSarangarh683
81DomadihSarangarh907
82DomadihSarangarh631
83DongiyaSarangarh222
84DumardihSarangarh589
85DurgapaliSarangarh951
86FarswaniSarangarh1,312
87Gandhara ChuaSarangarh564
88Ganjai BhaunaSarangarh221
89Gantuli BadeSarangarh1,187
90Gantuli ChhoteSarangarh635
91GatadihSarangarh610
92GatapidhaSarangarh125
93GaydarhaSarangarh531
94Ghana PiparSarangarh55
95GhathoraSarangarh313
96Ghathula BadeSarangarh983
97Ghathula ChhoteSarangarh775
98Ghora GhatiSarangarh274
99GodaSarangarh1,510
100GodamSarangarh1,719
101GodihariSarangarh2,763
102GomdaSarangarh165
103Gopal BhunaSarangarh519
104GudeliSarangarh2,309
105GwalindihSarangarh1,208
106HasaudSarangarh418
107HerdiSarangarh1,686
108HirriSarangarh2,102
109Holdhar PaliSarangarh515
110IchchhaSarangarh1,471
111JampaliSarangarh619
112JampaliSarangarh247
113JasaraSarangarh794
114JewraSarangarh1,496
115JhalmalaSarangarh175
116JharapdihSarangarh619
117JharpaliSarangarh396
118Jhawahar NagarSarangarh121
119JhilgitarSarangarh890
120JildiSarangarh927
121JogidipaSarangarh163
122JognipaliSarangarh144
123JunadihSarangarh401
124JushpurSarangarh2,893
125KalmiSarangarh1,106
126KanakbiraSarangarh858
127KandurpaliSarangarh347
128KanwalajharSarangarh463
129Kanwar GudaSarangarh183
130KapartungaSarangarh824
131KapisdaSarangarh1,012
132KapisdaSarangarh1,584
133KargipaliSarangarh409
134KataradihSarangarh277
135KatekoniSarangarh1,219
136KateliSarangarh1,596
137KauwatalSarangarh999
138KedarSarangarh1,237
139Kenwtin DhondhiSarangarh287
140Khaira BadeSarangarh731
141Khaira ChhoteSarangarh1,787
142KhairahaSarangarh486
143KhairjhitiSarangarh209
144KhairpaliSarangarh167
145KhajariSarangarh1,161
146KhamhardihSarangarh1,570
147KhamharpaliSarangarh183
148KharriSarangarh520
149Kharri BadeSarangarh802
150Kharwani BadeSarangarh1,340
151Kharwari ChhoteSarangarh540
152Khokhsi PaliSarangarh722
153Khudu BhanthaSarangarh770
154KhudwenaSarangarh461
155KhursiaSarangarh875
156KorrapaniSarangarh80
157KosirSarangarh4,755
158Kosir ChhoteSarangarh676
159KotmaraSarangarh980
160KotriSarangarh1,510
161KudhariSarangarh807
162KumhariSarangarh1,563
163KurrahaSarangarh702
164KutelaSarangarh767
165LaladhurwaSarangarh635
166LendhraSarangarh2,217
167LimgaonSarangarh1,195
168LoharindipaSarangarh21
169LurkaSarangarh104
170MachaladihSarangarh647
171MachgodhaSarangarh489
172MadhopaliSarangarh809
173MadhuwanSarangarh744
174MahkampurSarangarh446
175Majar MatiSarangarh437
176MakariSarangarh89
177MaldaSarangarh2,132
178MaldaSarangarh1,154
179ManikpurSarangarh444
180Mauha DhodhaSarangarh721
181MauhapaliSarangarh303
182Mudawa BhanthaSarangarh1,651
183MudiyadihSarangarh514
184MudparSarangarh957
185MudparSarangarh853
186NakainharSarangarh479
187NanchanpaliSarangarh713
188NandeliSarangarh513
189NareshnagarSarangarh742
190NargikholSarangarh93
191NaurangpurSarangarh1,370
192NawapaliSarangarh143
193NawaparaSarangarh766
194NunpaniSarangarh531
195PahandaSarangarh1,254
196PakardihSarangarh337
197PanchpediSarangarh1,193
198ParasdaSarangarh1,686
199ParasdaSarangarh586
200ParaskolSarangarh1,053
201ParaskolSarangarh455
202Parsa PaliSarangarh247
203ParsadihSarangarh418
204PasidSarangarh1,305
205PatSarangarh1,043
206PatharipaliSarangarh337
207PikriSarangarh758
208Pindri BalopathSarangarh1,049
209Pindri Dukhu PathSarangarh818
210PipardaSarangarh296
211PradhanpurSarangarh342
212PutiyaSarangarh23
213RakshaSarangarh822
214Ram BhanthaSarangarh385
215RampagulaSarangarh1,084
216RampurSarangarh332
217RamtekSarangarh585
218RedaSarangarh3,073
219RelhaSarangarh5
220RengalmudaSarangarh517
221RewaparSarangarh1,235
222RohinapaliSarangarh597
223SahaspaniSarangarh720
224SahaspurSarangarh468
225SalarSarangarh852
226SalheSarangarh1,256
227SaradihSarangarh384
228SaraipaliSarangarh474
229SaraipaliSarangarh496
230SaraipaliSarangarh373
231SarangarhSarangarh6,799
232Sariya DarhaSarangarh241
233SarsaraSarangarh144
234SemrapaliSarangarh488
235SendhmalSarangarh34
236SendurasSarangarh48
237ShivpuriSarangarh155
238SiladeiSarangarh480
239SiliyariSarangarh906
240SingarpurSarangarh992
241SinghanpurSarangarh471
242SinghanpurSarangarh2,173
243SiroliSarangarh644
244SoderdihSarangarh487
245SonadulaSarangarh486
246SondikaSarangarh305
247SulauniSarangarh1,098
248SundarabhathaSarangarh608
249SurliSarangarh161
250Suwar GudaSarangarh436
251SuwatalSarangarh632
252TadiparSarangarh1,268
253TaldeoriSarangarh493
254TamandihSarangarh190
255TamtoraSarangarh351
256TangarSarangarh441
257Tedhi NalaSarangarh148
258TendudharSarangarh86
259TenduwaSarangarh327
260ThakurdiyaSarangarh356
261ThakurpaliSarangarh510
262Thelka BhanthaSarangarh699
263ThengakotSarangarh360
264Tilai DadarSarangarh825
265TilaimudaSarangarh824
266TilaipaliSarangarh184
267TimarlagaSarangarh3,142
268TulsidihSarangarh457
269UchchbhitithiSarangarh1,879
270UdharaSarangarh834
271UlkharSarangarh2,899
272UmmedpurSarangarh37
273VijepurSarangarh166
274VishalpurSarangarh246