बुधवार, 2 दिसंबर 2020

कर्म सुधारो जीवन सुधरेगी

*होनी तो प्रबल है*
*सीता विवाह और राम का राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त में किया गया। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न राज्याभिषेक।*
*जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया।*

*सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।*
*लाभ हानि, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ।।*

*अर्थात, जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा। न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के। न ही शिव ने शती के मृत्यु को टाल सके, जबकि मृत्युंजय मंत्र उन्ही का आवाहन करता है।*

*इस लिए यदि अपने जीवन मे परिवर्तन चाहते हैं, तो अपने कर्म बदलें। आप के मदद के लिए स्वयं आपकी आत्मा और परमात्मा दोनों खड़े है। उसे पुकारें। वह परमात्मा ही आप का सच्चा साथी है।*
*परमपिता परमात्मा से ज्यादा शुभ चिंतक भला कौन हो सकता है हमारा ?*

*परीक्षा संसार की।*
*प्रतीक्षा परमात्मा की।*
*और समीक्षा अपनी करनी चाहिए।*
                       
*लेकिन हम परीक्षा परमात्मा की।*
*प्रतीक्षा सुख की और समीक्षा दूसरों की करते हैं।*

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