ज्यादा दूर नही जाना है अभी सौ साल पहले ही हमारे लोगों ने जब राम नाम के महत्व को जाना। रामायण लंबे समय तक हमारे बंधुओं के बीच नहीं था रामायण पढ़ना सुनना सब मना था लेकिन फिर भी राम का नाम लोग जानते थे उन लोगों ने राम नाम का भजन प्रारंभ कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि राम का नाम सत्य है इसलिए राम नाम से इनको दूर रखा गया। लड़ाई हुई, कहां गया तुम राम का नाम नहीं ले सकते राम पर हमारा अधिकार है । हमारे लोगों ने कहा ठीक है राम नाम पर तुम्हारा अधिकार है लेकिन राम का नाम तो सत्य है तो हम सत्य का ही नाम लिया करेंगे। हमारे पुरखों ने राम के नाम को सत्य मानकर सतनाम धर्म ही बना लिया सतनाम धर्म आज विशेष जाति के रूप में चिन्हांकित है लेकिन यह गलत है कोई विशेष जाति सतनामी होगा और बाकी सारे जातियां बदनामी होगी बगैर नाम की होगी यह तो हो नहीं सकता। नाम का होना जरूरी है ना बहुत सारे नाम है बहुत सारे नाम में अपने प्रिय नाम को चुनना है जो नाम शांति देता है प्रेम देता है सद्भावना देता है ऐसा नाम राम का नाम है हमारे पुरखों ने राम नाम को जानकर रामनामी कहलाए इन रामनामीओ ने अपने शरीर में राम नाम को अंकित कर लिया। पूरे अंग में रामराम लिखा लिए परमानेंट जिसे हम छत्तीसगढ़ी में गोदना कहते हैं। हर प्रकार के लोग मिले कोई पूछता है सतनाम क्या है कोई पूछता है रामनाम क्या है अरे भाई दोनों एक ही है और हम भी रामनामी सतनामी एक ही है वह तो समय की बात थी और अपने अपने मान्यताओं की बात थी। समाज को एकजुट रखना था हम सब एक हैं और एकता बनाए रखना था इसलिए हमारे रियासत के लोगों ने भक्ति का अनूठा नमूना पेश किया पूरे शरीर में रामराम गोदना गोदा कर । इनके बारे में चर्चा करने के लिए ही यह सतनाम गढ़ ब्लॉग बनाया है।
रामराम जय सतनाम