बुधवार, 2 नवंबर 2011


संगी तोर बिना... 

ख़ुशी घलो मिलथे संगी मन ले
दुःख घलौ मिलथे संगी मन ले,
लड़ाई घलो हे संगी मन से
मया घलौ हे संगी मन ले,
रिसाना घलो हे संगी मन से
मानना घलौ हे संगी मन ले,
गोठ - बात हे संगी मन से
ज्ञान  घलौ हे संगी मन ले,
निशा होथे जादा संगी मन से
संझा घलौ मिलथे संगी मन ले,
जिनगी के शुरुआत हे संगी से
नवा डाहर मिलथे घलौ संगी ले
काम घलो संगी  से
नाम घलो हे संगी  से,
एक बात सुनले ,
हमर तो बिहनिया ही शुरू होथे संगी मन ले ..


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